कोलेस्ट्रोल कम करने का रामबाण इलाज
आइए देखते हैं कोलेस्ट्रोल कम करने का कुछ रामबाण इलाज
1-स्वस्थ और स्वच्छ भोजन
अपने आहार में लगातार पोस्टिक स्वस्थ भोजन को शामिल करें जिसमें हरे पत्तेदार सब्जियां, फल,अनाज और ड्राई फ़्रूट आदि
और संतुलन मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें और कोशिश करें कि भोजन को भाप द्वारा ग्रिल या ओवन में पकाएं
और जितना हो सके तेल वाले पदार्थों से बचें
2-प्रतिदिन व्यायाम
प्रतिदिन व्यायाम करने से केवल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में सुधार नहीं होता है बल्कि बहुत सारे ऐसे बीमारी है जो खुद ब खुद सही हो जाती है
दिन में कम से कम आधे घंटे के लिए टहले या दौड़े जिससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है
3-वजन में कमी
अब वजन में कमी के बारे में मैं क्या बताऊं
हम सबको मालूम है कि वजन में कमी किस प्रकार किया जा सकता है वजन में जितना कमी होगा उतना ही कोलेस्ट्रोल मात्रा में कमी हो जाएगी
लेकिन मैं बता दूं कि वजन में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है रनिंग
4-धूम्रपान छोड़न
धूम्रपान करने से मनुष्य के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है यदि किसी प्रकार आप इसे कम कर सकें तो कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित हो जाएगी
5-औषधीया
कोलेस्ट्रोल बढ़ जाने पर हमें चिकित्सक के पास जाना चाहिए और उनके सलाह के अनुसार औषधियां लेनी चाहिए
कोलेस्ट्रोल क्या है
कोलेस्ट्रोल शरीर के सभी कोशिकाओं के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
और शरीर की सभी कोशिकाएं अपने आवश्यकतानुसार कोलेस्ट्रोल का यूज करती है
कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में कई स्रोतों से आता है जिससे कि आहार (भोजन)- भोजन जो हम अपने शरीर में एनर्जी के लिए करते हैं उससे हमें कई मिनरल जैसे-विटामिन प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट वसा और अन्य कई सारी चीजें मिलती हैं
जो हम आहार या भोजन करते हैं उसमें मुख्य रूप से दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल होते हैं
1-L.D.L-[ low density Lipoprotein]
2-H.D.L-[ high density Lipoprotein]
आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी प्रकार के कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होते बल्कि कुछ कोलेस्ट्रोल हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभप्रद होते हैंLDL
सामान्यता एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बुरा कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है क्योंकि यह शरीर में अधिक मात्रा पर होने पर बीमारियों को उत्पन्न कर सकता हैएलडीएल कोलेस्ट्रॉल शरीर में लिपोर्टिंन्स के रूप में बंधा होता है इसे "बुरा कोलेस्ट्रॉल" के रूप में भी जाना जाता है
यह हमारे शरीर की धमनियों में जाकर इकट्ठा हो जाता है जिसे कभी सारी बीमारियां भी हो सकती है जैसे-हार्ट अटैक, दिल की बीमारियां आदि
HDL
एच डी एल कोलेस्ट्रॉल को अच्छा कोलेस्ट्रोल माना जाता है इसका काम बेसिकलि यह होता है कि यह एल डी एल कोलेस्ट्रॉल को धमनिया में जाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दे देता है और वहां पर सफाई कर देता हैइस कोलेस्ट्रोल के माध्यम से हमारी धमनिया स्वच्छ और स्वस्थ रहती है
जो बिल्कुल एल डी एल कोलेस्ट्रॉल के उल्टा है
यह आपको हृदय घाट के जोखिम से बचाता है
हमारे शरीर में LDLकोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होने पर और HDL कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होने पर कोलेस्ट्रोल में वृद्धि जैसी प्रॉब्लम आती है हालांकि इसको कोलेस्ट्रॉल में विधि नहीं बल्कि LDL कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि कहेंगे क्योंकि HDL कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि होने पर हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है
इसलिए यदि LDL कोलेस्ट्रॉल की मात्रा HDL कोलेस्ट्रोल की मात्रा से बहुत अधिक होती है तो कई सारी बीमारियों का सामना पर करना पड़ता है जैसे-हृदय रोग, दिल की बीमारियाँ, आंद्रोजेन निर्माण में समस्या, शरीर का प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी, आदि
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा यदि शरीर में बहुत अधिक हो जाए यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है और दिल के कई बीमारियों के लिए घातक हो सकता हैकोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक बढ़ने पर कुछ लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जो हमें नोटिस करना चाहिए और समय आने पर चिकित्सक से दिखा देना चाहिए
1-धड़कन का बढ़ना
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर की धमनियों में LDL कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है जिससे ब्लड सही से पंप नहीं हो पाता है जिसे सुचारू रूप से पंप करने के लिए हमारी धड़कनें तेज हो जाती है2-फेफड़ों में जलन या दर्द का होना
यदि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो जाने पर हमारे फेफड़ों में जलन या दर्द का एहसास होने लगता हैयह भी एक बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल का सिंबल है
3-श्वास नली में दिक्कत
अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर श्वास नली में संकोच होने लगती है जिसे सांस लेने में भी दिक्कत होती है4-हाई ब्लड प्रेशर
कोलेस्ट्रोल में वृद्धि होने पर ब्लड प्रेशर हाई हो सकती है और यदि ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है तो इससे उत्पन्न होने वाली बीमारियां भी ढेर सारी हैंजैसे-सिरदर्द, चक्कर आना, अक्सर थकान और श्वास लेने में कठिनाई हो सकती है।
5-वजन में बढ़ावा
बढ़ता हुआ कोलेस्ट्रोल वजन में भी बढ़ावा कर सकता है और यदि आपका वजन आवश्यकता से अधिक बढ़ रहा है तो आप एक बार चिकित्सक के पास जाकर कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराले6-चिंता
हमारे शरीर में बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा हमारे मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालता हैकोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हमें चिंता दुख उदासी या चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं
कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता हैँ
जैसा कि हमने ऊपर देखा है कि कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं इसलिए कोलेस्ट्रोल हमारे शरीर के लिए अच्छा भी होता है लेकिन एक निश्चित मात्रा में अगर कोलेस्ट्रॉल हद से ज्यादा बढ़ जाए तो वह हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता हैआइए देखते हैं कोलेस्ट्रोल किस कारण से बढ़ता है
1-आहार
कुछ आहार ऐसे हैं जिसके सेवन से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ सकती हैजिसमें एक प्रमुख आहार है तेल|
तेल का सेवन अधिक करने से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत जल्दी बढ़ जाती है
अधिक मात्रा में लहसुन खाने से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है
और कुछ मांसाहारी सेवन जैसे अंडे चिकन बकरी मछली आदि का सेवन करने से हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है
2-वजन
बढ़ते हुए वजन या मोटापा शरीर के कोलेस्ट्रोल बढ़ाने में मददगार होता है मोटापा एक विशेष प्रकार की वसा(त्रिग्लिसराइड) का उत्पात करता हैजिसे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है
3-प्रतिदिन नियमित व्यायाम न करना
जैसा कि हमें पता है कि व्यायाम करने से बहुत सारे रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है इसी में एक और रोग का नाम है कोलेस्ट्रॉलजी हां यह भी नियमित व्यायाम ना करने की वजह से बढ़ता है
व्यायाम न करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का जमा हो जाता है
4-धूम्रपान
धूम्रपान करने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में वृद्धि हो सकती है तंबाकू में उपस्थित निकोटीन और अन्य तब तो कोलेस्ट्रोल के बढ़ाने में कार्यरत होते हैंइसके अलावा अन्य कई छोटे-छोटे कारणों से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में वृद्धि हो सकती हैं यदि आपको हाथ एक कार के बारे में डिटेल से जानकारी चाहिए तो हमें एक ईमेल कीजिए और इस पर हम डिटेल जानकारी देने की कोशिश करेंगे
कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए
एक स्वस्थ मानव के शरीर में कुल कोलेस्ट्रोल 200 मिलीग्राम प्रति डेसिलीटर (mg/dL) से कम होना चाहिए।HDL या गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 40 मिलीग्राम प्रति देसी लीटर (mg/dl) से अधिक होनी चाहिए
LDL या बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा 100 मिलीग्राम प्रति देसी लीटर (mg/dl) से कम होनी चाहिए
ट्राइग्लिसेराइड (Triglycerides): 150 मिलीग्राम प्रति देसी लीटर (mg/dL) से कम होना चाहिए।
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